World Tribal's Day: आखिर 9 अगस्त को ही क्यों मनाते है विश्व आदिवासी दिवस, जानिए रोचक इतिहास
भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं, जिनका रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज सबकुछ आम लोगों से अलग होता है। समाज की मुख्यधारा से कटे होने के कारण आदिवासी समाज आज भी पिछड़े हुए हैं। यही वजह है कि भारत समेत तमाम देशों में इनके उत्थान के लिए, इन्हें बढ़ावा देने और इनके अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए आज यानी 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था।
जानिए इसे जुड़ा रोचक इतिहास
आदिवासी समुदाय के लोगों की भाषाएं, संस्कृति, त्योहार, रीति-रिवाज और पहनावा सबकुछ अन्य समाज के लोगों से अलग होता है। यही वजह है कि ये लोग समाज की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इनकी संख्या आज भी समय के साथ घटती जा रही है। आज भी आदिवासी समाज के लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इसकी एक मुख्य वजह ये है कि ये लोग प्रकृति से समीप रहना ज्यादा पसंद करते हैं और जंगलों में रहते हैं जिसकी वजह से ये मुख्यधारा से कटे रहते हैं। आज जंगल घटते जा रहे हैं जिसकी वजह से इनकी संख्या भी कम होती जा रही है।
आदिवासी समाज के लोगों का मुख्य आहार आज भी पेड़-पौधों से जुड़ा है, इनके धर्म-त्योहार भी प्रकृति से जुड़े हैं। दुनिया भर में 500 मिलियन के करीब आदिवासी रहते हैं और 7000 भाषाएं बोलते हैं, 5000 संस्कृतियों के साथ दुनिया के 22 प्रतिशत भूमि पर इनका कब्जा है। इनकी वजह से पर्यावरण संरक्षित है। साल 2016 में 2680 ट्राइबल भाषाएं विलुप्त होने की कगार पर थीं। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र ने इन भाषाओं और इस समाज के लोगों को समझने और समझाने के लिए 2019 में विश्व आदिवासी दिवस मनाने का एलान किया।
9 अगस्त को ही क्यों आदिवासी दिवस मनाया जाता है?
विश्व भर की आदिवासी जातियों में जागरूकता फैलाने और उनके अधिकारों के संरक्षण को प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस (International Day Of The World's Indigenous Peoples) मनाया जाता है।
विश्व आदिवासी दिवस का उद्देश्य क्या है?
विश्व आदिवासी दिवस आदिवासी समुदाय की पहचान, संस्कृति, और अधिकारों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य आदिवासी समुदाय की उपलब्धियों को सम्मानित करना और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना है
आदिवासी का दूसरा नाम क्या है?
आधिकारिक तौर पर आदिवासियों को 'अनुसूचित जनजाति' कहा जाता है , लेकिन यह एक कानूनी और संवैधानिक शब्द है , जो राज्य दर राज्य और क्षेत्र दर क्षेत्र अलग-अलग होता है, और इसलिए कुछ समूहों को बाहर रखा जाता है जिन्हें स्वदेशी माना जा सकता है।
महाभारत में आदिवासी कौन था?
महाभारत में, एक प्रमुख आदिवासी उदाहरण एकलव्य है।
रामायण में भील कौन थे?
रामायण महाकाव्य के रचयिता ऋषि वाल्मीकि भील पुत्र थे। तथा उनका मूल नाम वालिया था। महाभारत महाकव्य में वर्णित गुरुभक्त एकलव्य भी भील जनजाति थे। रामायण महकाव्य में भी शबरी नामक महिला का वर्णन मिलता है जिसने श्रीराम को वनवास के दौरान जूठे बेर खिलाए थे उस सबरी का संबंध भी भील जनजाति से ही था
अमेरिकी मनाता था कोलंबस दिवस
अमेरिका में 12 अक्टूबर को हर साल कोलंबस दिवस मनाया जाता है और वहां के आदिवासियों का मानना था कि कोलंबस उस उपनिवेशी शासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके लिए बड़े पैमाने पर जनसंहार हुआ था। इसके बाद फिर कोलंबस दिवस की जगह पर आदिवासी दिवस मनाने की मागं उठी। इसके लिए 1977 में जेनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया और इस सम्मेलन में कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाने की मांग की गई।
हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
कोई टिप्पणी नहीं